नपुंसकता, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, स्तंभनदोष लक्षण, कारण, उपाय और इलाज Erectile Dysfunction meaning in Hindi
स्तंभनदोष या नपुंसकता पुरुषों के लिंग से सम्बंधित एक बीमारी है। इस बीमारी में लिंग की मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं जिसके कारण लिंग में पूरी तरह से कठोरता नहीं आती। स्तंभनदोष या इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारण पुरुषों में नपुंसकता के लक्षण आने लगते। और पुरुष सम्भोग करने में सफल नहीं हो पाता है। आजकल स्तंभनदोष या Erectile Dysfunction in Hindi एक बड़ी समस्या बनती जा रही है।
दुसरे शब्दों में लिंग शिथिल रहता है, और पूरी तरह से कठोर न होने के कारण पुरुष लिंग को योनि (Vagina) के प्रवेश करने में असमर्थ रहता है। जिसके कारण स्त्री और पुरुष दोनों की काम इच्छा की पूर्ती नहीं हो पाती। साथ ही संतान सुख की प्राप्ति भी नहीं हो पाती है। यह बीमारी शादी जैसे पवित्र बंधन के टूटने का कारण भी बन जाती है।
मर्दों में नपुंसकता या इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के मुख्य कारण What is erectile dysfunction in hindi
लक्षणों और बीमारी की उत्पत्ति के आधार पर नपुंसकता के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। यहाँ पर उन मुख्य कारणों को वर्णित किया गया है, जो इस बीमारी को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
फिजिकल कारण
अगर किसी कारणवश जैसे दुर्घटना या किसी और कारण से गुप्तांग पर चोट लग जाती है तो लिंग की मांसपेशिया कमज़ोर हो जाती हैं। लिंग की और जाने वाली जो नसें जो उत्तेजना पैदा करने में सहायक होती हैं, अगर ये नसें कट जाती है या कमज़ोर पड़ जाती हैं तो इसके कारण लिंग में शिथिलता आ जाती है।
साइकोलॉजिकल कारण
लगभग 15% मरीज ऐसे होते हैं जिनको कोई बीमारी तो नहीं होती। लेकिन कुछ साइकोलॉजिकल कारणों से वह अपने आप को मरीज समझने लगते हैं। जैसे अगर कोई पहली बार सेक्स सम्बन्ध बनाए में कामयाब नहीं हो पाता तो एक डर उसके अंदर बैठ जाता है। वह पुरुष अपने आप को नपुंसक समझने लगता है। अगर कोई मरीज़ उत्तेजना में जल्दी स्खलित हो जाता है तो उसमे मन में ये डर बना रहता है की कहीं फिर से वह जल्दी स्खलित न हो जाये और उसके लिंग की मांसपेशिया शिथिल हो जाती हैं।
डिप्रेशन या अधिक चिंता
ये एक ऐसा कारण है जो बीमारी का कारण भी है और बीमारी स्वम इसका कारण बन जाती है। जब मरीज स्त्री के साथ सम्बन्ध नहीं बना पाता तो वो अवसाद और डिप्रेशन की और जाने लगता है। दूसरी ओर ऐसी दवाइयां जो अवसाद और डिप्रेशन के इलाज के लिए प्रयोग की जाती हैं वो दवाइयां भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन या नपुंसकता का कारण बनती हैं।
बढ़ती उम्र
बढ़ती उम्र इरेक्टाइल डिसफंक्शन का एक मुख्या कारण है, ख़ास तौर से 60 साल से बड़ी उम्र के लोगों में।
करीब 5-10% मरीज़ ऐसे होते हैं जिनमे 40 साल की उम्र के बाद नपुंसकता के लक्षण आने लगते हैं और लगभग 15% से 25% लोगों में 60 साल से बाद ये बीमारी जन्म ले लेती है। इसका कारण ये है की बढ़ती उम्र के साथ मांसपेशिओं में शिथिलता आने लगती है। दूसरी कुछ शारीरिक बीमारियां जैसे ब्लड शुगर और ह्रदय सम्बन्धी रोग जो नपुंसकता ( Erectile Dysfunction in Hindi ) का कारण बनती हैं.
हार्मोन्स की कमी या अधिकता
मर्दों में टेस्टेस्टेरोन हॉर्मोन की कमी नपुंसकता और मरदाना कमज़ोरी का मुख्या कारण है। मर्दों में 40 की उम्र के बाद शरीर में टेस्टेस्टेरोन की मात्रा कम होने लगती है। जिसके कारण मोटापा बढ़ने लगता है और काम इच्छा में कमी आने लगती है।
टेस्टेस्टेरोन हॉर्मोन की कमी के लक्षण Symptoms of Low Testosterones Level
- कामेच्छा में कमी
- ऊर्जा की कमी
- मांसपेशियों की कमज़ोरी
- वीर्य का कम बनना
- मानसिक तनाव
- मूड का बिना कारण बदलना
- वज़न का बढ़ना
- याददाश्त की कमी
- ऑस्टियोपोरोसिस
- ह्रदय समबन्धी रोग
- हड्डियों का कमज़ोर होना
अधिक मात्रा में शराब का सेवन
अधिक मात्रा में शराब पीने से भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लक्षण आने लगते हैं। क्योंकि शराब में शुगर की मात्रा अधिक होती और शरीर में शुगर की अधिक मात्रा के कारण भी नपुंसकता हो जाती है।
धूम्रपान
धूम्रपान के कारण रक्त शिराओं (Arteries) के अंदर खून का थक्का जमने और ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है। यह भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण बन सकता है। इसके अतिरिक्त धूम्रपान के कारण तंत्रिकातंत्र पर भी बुरा असर होता है।
नशीली दवाओं का सेवन
नशीली दवाएं मांसपेशियों को ढीला या शिथिल कर देती हैं। जो लोग लगातार नशीली दवाओं का सेवन करते हैं उनमे नपुंसकता का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।
कुछ बीमरिया जैसे डाइबटीज या हाई ब्लड शुगर
हाई ब्लड शुगर या डाइबिटीज इरेक्टाइल डिसफंक्शन का एक मुख्या कारण है। आपने देखा होगा ऐसे मरीज़ जिनका शुगर लेवल बहुत अधिक होता है उनकी सेक्स करने की इच्छा काम हो जाती है। अधिक शुगर तंत्रिकातंत्र पर बुरा असर डालती है जिसके कारण लिंग में कठोरता नहीं आती और ये मरीज़ की नपुंसकता का कारण बनता है।
ह्रदय सम्बन्धी रोग
ऐसे मरीज जो ह्रदय सम्बन्धी रोगों से पीड़ित हैं उनको भी इस बीमारी का बड़ा खतरा होता है। ह्रदय रोगों में दी जाने वाली दवाइयां भी इसका कारण बनती हैं।
प्रोस्टेट ग्लैंड की सर्जरी के बाद
बढ़ती उम्र के साथ प्रोस्टेट ग्रंथि का साइज़ बड़ा होने लगता है और 50-55 साल की उम्र में ऐसा लगभग सभी मर्दों में होता है। जब ग्रंथि का साइज़ और बढ़ जाता है तो मरीज को पेशाब करने में भी दिक्कत होने लगती। इसको ठीक करने के लिए प्रोस्ट्रेट की सर्जरी करनी पड़ती है। जिसके कारण इरेक्टलिले डिसफंक्शन या नपुंसकता होने का डर अधिक हो जाता है।
नपुंसकता या इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लक्षण
स्तंभनदोष या इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लक्षण लगभग एक ही प्रकार के होते हैं चाहें कारण कोई भी हो। अंतर सिर्फ ये होता है की कारण के प्रकार के हिसाब से लक्षण कम या अधिक हो सकते हैं।
- लिंग का शिथिल होना और कठोर न होना
- लिंग का उत्तेजित न होना
- कामेच्छा की कमी
- नींद में लिंग में कठोरता न आना
- समय से पहले वीर्य का निकल जाना
- देरी से या कम मात्रा में वीर्य का निकलना
- सेक्स की इच्छा न होना और सेक्स में मन न लगना
- मरीज़ के व्यवहार का बदल जाना
उपचार या Diagnosis
इस बीमारी को जांचने के लिए डॉक्टर आपकी स्वस्थ्य हिस्ट्री के बारे में डिटेल में बात करेगा। वह ये जानने की कोशिश करेगा की कहीं कारण साइकोलॉजिकल तो नहीं है। इसको कन्फर्म करने के लिए वो आपके अंडकोष या टेस्टेज की जाँच करेगा। या प्रोस्टेट को जांचने के लिए गुदा से भी जांच कर सकता है।
इसके अलावा कुछ खून की जांचे या रेडियोलॉजिकल जाँच भी कर सकता है जैसे:
- NPT TEST एनपीटी टेस्ट (Penile Nocturnal Tumescence) – ये एक पोर्टेबल बैटरी से चलने वाली मशीन है। इसको रात भर मरीज के साथ लगा दिया जाता है और फिर इरेक्टाइल डिसफंक्शन को जांचने के लिए सेक्सोलॉजिस्ट इसकी रिपोर्ट देखकर कनफरम करता है।
- ब्लड शुगर या HBA1C Test
- अंडकोष का अल्ट्रासाउंड
- मेग्नेटिक रेसोनेंस एंजियोग्राफी (MRA)
- पेनाइल नर्वस फंक्शन
- कार्पस कैवर्नोसमेट्री
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज Erectile Dysfunction treatment in Hindi
काउन्सलिंग
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज या नपुंसकता का इलाज बीमारी के कारण के अनुसार होता है। अगर बीमारी का कारण साइकोलॉजिकल है तो मरीज़ साइकोलोजिस्ट या साइकेट्रिस्ट इलाज की आवश्यकता होती है । कुछ काउन्सलिंग सेशन के बाद मरीज ठीक होने लगता है और उसमे कॉन्फिडेंस आने लगता है।
टेस्टेस्टेरोन हॉर्मोन बढ़ने के उपाय
अगर बीमारी का कारण टेस्टस्टेरॉन की कमी है तो डॉक्टर टेस्टेस्टेरोन के इंजेक्शंस की सलाह देते हैं। या फिर टेस्टस्टेरॉन सप्लीमेंट्स की सलाह देते हैं। और आपके जीवन शैली और भोजन की आदतों में बदलाव की सलाह देते हैं।
- लगातार व्यायाम
- स्वस्थ्य भोजन
- वज़न घटाना
- अच्छी नींद लेना
- धुप में समय व्यतीत करना ( विटामिन डी3 की मात्रा बढ़ने के लिए )
- ब्लड शुगर की बीमारी का इलाज
दवाइयां
ये दवाइयां खून के परवाह को बढाती हैं और लिंग में उत्तेजना पैदा करती है। लेकिन इन दवाइयों को बिना डॉक्टर के परामर्श से लेना खतरनाक हो सकता है। जैसे D-Aspartic एसिड, सिल्डेनफिल ( वियाग्रा ), Tadalafil इत्यादि ।
सावधान: ऐसी दवाइयां हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही लें ।
आयर्वेदिक इलाज Ayurvedic Medicine for Erectile Dysfunction in Hindi
- फलीदार सब्ज़ियां
- मछली, अंडा और मशरूम
- गोखरू (Tribulus terrestris)
- मेथी दाना (Fenugreek)
- अदरक
- अश्वगंधा (Withania somnifera)
- सतावरी
- छुआरा
ये दवाइयां नापंसकता के इलाज में बड़ा योगदान देती हैं। इन दवाइयों को Erectile Dysfunction treatment in Ayurveda in Hindi की श्रेणी में रखा गया है जिनके बहुत ही अच्छे परिणाम मिले हैं। लेकिन कोई भी आयुर्वेदिक दवाई प्रयोग करने से पहले डॉक्टर किसलाह आवशयक लें।
नपुंसकता घरेलु उपचार Home Remedies for Erectile Dysfunction and Premature Ejaculation in Hindi
लिंग की मांसपेशियों को मज़बूत करने वाले व्यायाम करें, जो ऊपर बताये गए हैं और साथ में नीचे बताये गए घरेलु नुस्खे का प्रयोग करें। प्रतिदन सुबह एक ग्लास दूध के साथ 2 छुआरे और 1 चम्मच अश्वगंधा चूर्ण प्रयोग करें। रात को सोते समय एक छोटा अदरक का टुकड़ा और साथ में 10-15 दाने कलोंजी के पानी के साथ लें।
शल्य चिकत्सा या सर्जरी
आजकल यूरोलॉजिस्ट पेनाइल इम्प्लांट नाम की सर्जरी करते हैं जिससे लिंग में उत्तेजना भी आती है और कठोरता भी पूरी आने लगती है लेकिन ये इलाज थोड़ा सा महंगा होता है।
लिंग की मासपेशिओं को मज़बूत बनाए वाले व्यायाम
लगातार व्यायाम रक्त के परवाह को बढ़ता है जिससे माँसपेशया मज़बूर होने लगती हैं। इरेक्टाइल डिसफंक्शन ये नपुंसकता के इलाज के लिए कुछ ख़ास व्यायाम करने से काफी फयदा होता है। इनके करने से सेक्स के दौरान पुरुष के देर तक रुकने की क्षमता बढ़ती है। और साथ ही लिंग में कठोरता भी बढ़ती है।
- अपनी गुदा की इस तरह से टाइट करें जैसी आप गुदा से हवा बहार निकलने से रोक रहे हों। साँस बाहर छोड़ें और गुदा की मांसपेशिओं को टाइट करें और 3 तक गिनें।। उसके बाद रिलैक्स हो जाएँ । और ऐसा दिन में 3 से 4 बार करें और लगातार 4 से 6 हफ्ते तक दोहराएं।
- जब पेशाब कर रहे हों तो बीच-बीच में पेशाब की धरा को रोकने की कोशिश करें। इससे आपकी गुदा की मांसपेशियां टाइट होंगी। पेशाब की धरा रोक कर 3 तक गिने फिर छोड़े फिर रोकें और फिर छोड़े। ऐसा करने से भी आपकी इरेक्टाइल डिसफंक्शन की बीमारी ठीक हो सकती है। और आपके जीवन में फिर से खुशियां वापस आ सकती हैं।
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