Covid-19 के कारण बहरेपन का खतरा | Coronavirus Causing Deafness
- नए अध्ध्यनों से पता चला है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हो रहा है बहरापन। मानव कान SARS-CoV2 इन्फेक्शन के लिए बहुत अधिक संवेदनशील हैं।
- वायरस कान की आंतरिक संरचनाओं की प्रभावित करके बहरेपन का कारण बन रहा है।
- नई शोध में पाया गया है की कोरोना वायरस अंदरूनी कान की दो प्रकार की विशिष्ट कोशिकाओं को प्रभावित करता है। जिनको हेयर एवं शुवान कोशिकाओं के नाम से जाना जाता है। इसिलए Covid-19 के कारण हो रहा है बहरापन।
- कोरोना वायरस के अंदरूनी कान के इन्फेक्शन के कारण शरीर का असंतुलन के साथ साथ अपरिवर्तनीय सुनने से जुडी समस्याएं भी हो सकती हैं।
- कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बहरापन अब हमारे सामने एक बड़ी समस्या और खतरे के रूप में सामने आ रहा है।
कैसे वायरस संक्रमण अंदरूनी कान को प्रभावित करके बहरापन करता है
कई सरे वायरल इन्फेक्शन (संक्रमण) वायरल प्रेरित बहरेपन (viral sensorineural hearing loss) का कारण बनते हैं. इन वाइरस के श्रेणी में हर्पीज़ सिम्पलेक्स वायरस, वेरीसेल्ला ज़ोस्टर वायरस, एप्सटीन-बार वायरस, मम्प्स का वायरस, पराइंफ्लुएंज़ा वायरस और रूबेला वायरस शामिल हैं। इसके आलावा और भी कई सारे सामान्य वायरस हैं जो बहरेपन का कारण बन सकते हैं। इसी प्रकार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बहरापन होने का कारण वाइरस द्वारा कान की अंदरूनी हिस्सों को नुकसान पहुँचता है।
ये वायरस केवल बहरेपन का ही कारण नहीं बनते बल्कि असंतुलन, चककर आना, और कान बजना (Tinnitus) जैसी बीमारियां वाइरस से होने वाली आम बीमारियां हैं। यदि कान के अंदर छुपे वायरस सक्रोया हो जाते हैं तो यह मध्य कान को भी प्रभावित करते हैं। जिसके कारण कंडक्टिवे हियरिंग लोस्स या प्रवाहकीय बहरापन हो सकता है।
ये भी पढ़ें —थायरॉइड बीमारी के लक्षण
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बहरापन की शुरुआत और व्यापकता
अभी कुछ नए शोध कार्यों से कोरोना संक्रमण से होने वाले बहरेपन के बारे में कुछ तथ्य सामने आये हैं। बहुत से वैज्ञानिक और नाक, कान, गले से जुड़े डॉक्टर्स अभी भी और इसकी व्यापक भूमिका पर काम कर रहे है। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों में ठीक होने के बाद अचानक कम या न सुनाई देना जैसी लक्षण देखे गए हैं। कोरोना वायरस संक्रमण से होने वाले बहरापन के मामले कई सारे देशों में देखे गए हैं।
हालाँकि अभी भी पूरी तरह इसकी पाथोफिजियोलॉजी साफ़ नहीं है। लेकिन शोध कार्य इस बात को साबित कर रहे हैं कि Covid-19 and hearing loss का सीधा संबंध है।
मैसाचुएट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के शोध कार्यों में इस बात को विस्तार से बताय गया है। कोरोना वायरस कान के अंदरूनी हिस्से की कोशिकाओं पर हमला करता है जिसके कारण वह सूजन आ जाती है। यह सूजन आस पास के सेंसोरिनुराल हिस्सों पर असर करके बहरापन का कारण बनता है। मस्तिष्क से कान की और आने वाली नर्व को नुकसान पहुंचता है जिसे कारण बहरापन होता है।
बहरेपन के साथ साथ कानो का बजना और असंतुलन भी इसके व्यापक लक्षण हैं । जो अपरिवर्तनीय बह हो सकते हैं। हालाँकि ये सारे लक्षण कहीं न कहीं कोरोना के मुख्या लक्ष्णों की श्रेणी में नहीं जोड़े गए थे। लेकिन अब मामले सामने आ रहे हैं और कान पर होने वाले कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभाव और वेस्टिबुलर फंक्शन्स पर शोध किया जा रहा है।
कैसे कोरोना वायरस संक्रमण बहरापन और श्रवण हानि का कारण बनता है
अधिकांश वायरस कान के अंदरूनी हिस्से को प्रभावित करते हैं और बहरेपन का कारण बनते हैं। जो बहरेपन, कानों एक बजना और चक्कर आने जैसी समस्याओं का भी कारण बनते हैं। हलांकि Covid-19 वायरस मुख्यता मध्य कान को प्रभावित करता है। और श्रवण एवं संतुलन कार्यों को अधिक प्रभावित करता है।
जिस प्रकार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण सूँघने की शक्ति पर असर पड़ता है। उसी प्रकार जब वायरस कान के अंदर पहुँचता है तो वेस्टीबुलोकोकलेअर तंत्रिका को प्रभावित करके सुनने की शक्ति को भी प्रभावित करता है। कोरोना वायरस ओलफैक्टरी तंत्रिका को नुकसान पहुंचता है और सूंघने की शक्ति को प्रभावित करता है।
वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने चूहों और मनुष्यों के आंतरिक कान के ऊतकों (Tissues) का विश्लेषण किया और Covid-19 के मरीज़ों में एक सुसंगत पैटर्न पाया। उन्होंने पाया कि अंदरूनी कान के ऊतक कोरोना वायरस के प्रवेश को आसानी से प्रवेश कि अनुमति दे देते हैं। इन सभी रोगियों को कोरोना वायरस संक्रमण के 3 सप्ताह के भीतर कान से संबंधित लक्षणों को देखा गया। जिसमे चक्कर आना और कान बजना भी शामिल थे।
ये वीडियो देखें — कौन सी कोरोना वैक्सीन बेहतर है ?
कोरोना वायरस संक्रमण माँ के पेट में पल रहे बच्चे में बहरेपन का कारण हो सकता है
शोधकर्ताओं के अनुसार माँ के पेट में पल रहे बच्चे का भीतरी कान बहुत ही संवेदनशील होता है। इसी कारण कई नवजात बच्चे जन्मजात वायरल इन्फेक्शन्स से होने वाले नुकसानों के साथ पैदा होते हैं। ये जन्मजात संक्रमण माँ के पेट में पल रहे बच्चों में बहरेपन का कारण बनते हैं। साइटोमेगालो वायरस नवजात शिशुओं में होने वाले बहरेपन के 40% मामलो के लिए ज़िम्मेदार है।
ये भी पाया गया कि जिन माताओं को कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ था उनके भ्रूण के कान में एक प्रकार कि SARS-CoV2 का विकासत्मक चरण मौजूद था। इसलिए डॉक्टरों ने गर्भवती महिलाओं को कोरोना वायरस के संक्रमण और नवजात शिशु में होने वाली जटिलताओं को रोकने के लिए कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन लेने कि सलाह देते हैं।
निष्कर्ष
इन निष्कर्षों के आधार पर शोधकर्ताओं कि सिफरिश है कि कोविद 19 के मरीज़ों या जो लोग कोविद 19 मरीज़ों के सम्पर्क में आये हों तो उनमे चक्कर आना, कान बजना या कान से कम सुनायी देने जैसे लक्षणों पर भी ध्यान देना चाहिए।
Covid-19 के बाद बहरेपन के मामले और माँ के पेट में पल रहे बच्चों में आने वाले लक्षणों के मामले हालाँकि बहुत अधिक नहीं हैं लेकिन इनका प्रभाव दीर्घकालिक हो सशक्त है इसलिए इन लक्षणों पर ध्यान देना आवश्यक है जिससे समय रहते इलाज कि और बढ़ा जा सके।
बुखार में सूंघने कि शक्ति में कमी, खांसी, सांस में दिकक्त, और फ्लू जैसे लक्षणों के साथ साथ चिकित्स्कों को ब्रेन स्ट्रोक, चककर आना, बहरापन, कान बजना जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षणों पर भी ध्यान देना चाहिए। ये लक्षण सही उपचार का सही समय पर विकल्प चुनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण संकेत देते हैं।